हवाओं में वही घुलकर मेरे चारों तरफ छायी ghazalsandhyapariwar 2:56 am एहसास के मुक्तक Edit हवाओं में वही घुलकर मेरे चारों तरफ छायी , मेरी मन कोंपलो में वो नयी उम्मीद भर लायी , मैं बहकूँ ना भला कैसे उसे बाहों में भरकर केे , वो अधरों में छिपाकर के नशीली प्यास ले आयी । हरेन्द्र सिंह कुशवाह एहसास Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About ghazalsandhyapariwar This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel. RELATED POSTS मैं उसकी आँख से होकर कभी दिल में उत...बदन में आग जलती है वो शोला बन मचलती...मिला लो हाथ में तुम हाथ मुझे विश्वा...
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