नव जीवन अनुगामिनी:
सात फेरे और सात वचन
नये सफर का पहला कदम
हाथ छुडा़ के मैं चली ,
छोडी बाबुल तेरी गली
नवजीवन अनुगामिनी हूं
पति संग जीवन सहभागिनी हूं
यूं ना रो कर विदा करो
शुभाशीषों से झोली भरो
सपनें जो सजाये है
पूरा उन्हें अब करना है
जीवन डो़र खुद के हाथ
ऊंचा बहुत उड़ना है
मुझे मालुम है होगा सम्भव
जीवनसाथी साथ है मेरे
मिल कर आगे बढ़ाना है
नमिता दुबे
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें