मैं उसकी आँख से होकर कभी दिल में उतर जाऊँ,
उसे बाहों में भर कर फिर उसी में ही बिखर जाऊँ,
बनूँ घनश्याम सा छलिया उसे राधा बना लूँ मैं,
करूँ मैं दिल का सौदा और वादे से मुकर जाऊँ।
हरेंद्र सिंह कुशवाह
एहसास
बेहतरीन रचनाकारों का संकलन
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