मुहब्बत थी मुझे जिससे उसे कहना नहीं आया ,
मंचलती शाम में दिलवर मुझे रहना नहीं आया ।
किसी को प्रेम करता था किसी को कह दिया मैंने ,
बड़ी उल्फत की मौजें थी हमें बहना नहीं आया ।।
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
~~~एहसास~~~
मंचलती शाम में दिलवर मुझे रहना नहीं आया ।
किसी को प्रेम करता था किसी को कह दिया मैंने ,
बड़ी उल्फत की मौजें थी हमें बहना नहीं आया ।।
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
~~~एहसास~~~
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