खुश्बू हो फूलों की उसे महकने दो ज़रा ,
नादान परिंदे को खुलकर चहकने दो ज़रा ,
कुछ तो नशा है तेरी कातिल अदाओं में
पीकर ये नशा मुझको बहकने दो ज़रा।
सुरेन्द्र ठाकुर अज्ञानी
सूरत गुजरात
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ghazalsandhyapariwar
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