दूर खुद से आज होता जा ......रहा है आदमी।
ऐश के सामान करता जा .......रहा है आदमी।
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काम आता ही नही ये किसी ......के भी कभी।
राह कैसी आज ये अपना... ... रहा है आदमी।
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हो गया ये हाल क्या इस ..आदमी का देखिऐ।
काम सारे ये बुरे करता ..........रहा है आदमी।
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ये बनाने काम अपने भूल जाता..... क्या सही।
अब लडाई खुद से' ही लडता.. रहा है आदमी।
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जा रहा है तोडता ये प्यार के....... वादे सभी।
प्यार मे धोखा सदा देता...... . रहा है आदमी।
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जी नही सकता कभी बिन ..ऐश ओ आराम के।
गबन करके रूपया खाता........ रहा है आदमी।
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भूल जाता आदमी औकात अपनी जब असीम।
तब तो' जुर्माना सदा भरता. .... रहा है आदमी।
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सुनीता"असीम"
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ऐश के सामान करता जा .......रहा है आदमी।
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काम आता ही नही ये किसी ......के भी कभी।
राह कैसी आज ये अपना... ... रहा है आदमी।
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हो गया ये हाल क्या इस ..आदमी का देखिऐ।
काम सारे ये बुरे करता ..........रहा है आदमी।
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ये बनाने काम अपने भूल जाता..... क्या सही।
अब लडाई खुद से' ही लडता.. रहा है आदमी।
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जा रहा है तोडता ये प्यार के....... वादे सभी।
प्यार मे धोखा सदा देता...... . रहा है आदमी।
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जी नही सकता कभी बिन ..ऐश ओ आराम के।
गबन करके रूपया खाता........ रहा है आदमी।
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भूल जाता आदमी औकात अपनी जब असीम।
तब तो' जुर्माना सदा भरता. .... रहा है आदमी।
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सुनीता"असीम"
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