मैं काग़ज़ पर लिखूं ग़ज़ल ghazalsandhyapariwar 8:31 pm नीरज निर्भय Edit मैं काग़ज़ पर लिखूं ग़ज़ल वो गर असआर तुम्हारा हो मैं दिल को खाली रख लूँगा ,गर वो प्यार तुम्हारा हो मैं भी मजनूं -रांझे जैसा इश्क में मरता -जीता हूँ मैं सेहराओ में भी भटकू ,गर ऐतबार तुम्हारा हो आपका निर्भय Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About ghazalsandhyapariwar This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel. RELATED POSTS
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