किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर ghazalsandhyapariwar 11:50 am एहसास के मुक्तक Edit किसी ने ग़म दिया मुझको किसी ने घोंप दी खंजर , नहीं फिर प्रेम उग पाया रही दिल की ज़मी बंजर । मैं बर्षों से वही बैठा जहाँ तुमने कहा रुकना , जुदाई देख ली मैंने बडे अदभुत रहे मंजर ।। हरेन्द्र सिंह कुशवाह ~~~एहसास~~~ Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About ghazalsandhyapariwar This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel. RELATED POSTS
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