खुश्बू हो फूलों की उसे महकने दो ज़रा , नादान परिंदे को खुलकर चहकने दो ज़रा , कुछ तो नशा है तेरी कातिल अदाओं में पीकर ये नशा मुझको बहकन...
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यादें तेरी महफ़ूज सभी मेरे पास हैं
यादें तेरी महफ़ूज सभी मेरे पास हैं। देती कभी चुभन, वो कभी देती आस हैं। सदमेे मुझे मिले मैं पत्थर की हो...
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लबों पर तैरती झूठी हँसी अच्छी नहीं लगती
लबों पर तैरती झूठी हँसी अच्छी नहीं लगती, अरे बस भी करो अब दिल्लगी अच्छी नहीं लगती। कमी मेरी तुम्हें महसूस ...
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दिलों में प्यार की यारो
दिलों मे प्यार की यारों चलो शम्मा जलाओ तुम। मनाऊं ईद मै दिल से अगर होली मनाओ तुम। कोई मज़हब नही कहता कि रक्खो बैर आपस में, मै गंगाजल...
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अपनी ये इल्तजा रही परवरदिगार से
अपनी ये इल्तजा रही परवरदिगार से महफूज़ सब सदा रहें शैतां के वार से। नफरत के बीज मुल्क में अब जो भी बोएगा काटेंग...
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आखिर कब तक शोक मनायें लिपटे वीर तिरंगों का
शहीदों के नाम पूरी कविता पढ़ें। जब-जब वहशी पत्थर ले सैनिक को मारा करते हैं, दिल्ली वाले राजधरम का कंस पछाड़ा करते हैं। अपने घर के बा...
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तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, त...
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अँधेरे में कभी देखूँ तो तारो में चमकती हो।
अँधेरे में कभी देखूँ तो तारों में चमकती हो। सबेरे धूप में मिल कर मुडेरों पर मटकती हो। अगर मैं तोड़ने जाऊँ जो ...
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हो गईं है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद ...
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बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है
बुलंदी देर तक किस शख्श के हिस्से में रहती है बहुत ऊँची इमारत हर घडी खतरे में रहती है ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मै...
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