दूर खुद से आज होता जा रहा

दूर खुद से आज होता जा ......रहा है आदमी।
ऐश के सामान करता जा .......रहा है आदमी।
****
काम आता ही नही ये किसी ......के भी कभी।
राह कैसी आज ये अपना... ... रहा है आदमी।
****
हो गया ये हाल क्या इस ..आदमी का देखिऐ।
काम सारे ये बुरे करता ..........रहा है आदमी।
****
ये बनाने काम अपने भूल जाता..... क्या सही।
अब लडाई खुद से' ही लडता.. रहा है आदमी।
****
जा रहा है तोडता ये प्यार के.......  वादे सभी।
प्यार मे धोखा सदा देता......  . रहा है आदमी।
****
जी नही सकता कभी बिन ..ऐश ओ आराम के।
गबन करके रूपया खाता........ रहा है आदमी।
****
भूल जाता आदमी औकात अपनी जब असीम।
तब तो' जुर्माना सदा भरता. .... रहा है आदमी।
****
सुनीता"असीम"

****
Share on Google Plus

About ghazalsandhyapariwar

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें