मैं सरहद पर गया था आज आँखे नम हुईं मेरी,
मिला जब खूँन भींगा ताज आँखे नम हुईं मेरी ।
बड़ी मक्कार खादी है वो अपनी सोचती है बस,
गिरायी घर में उसके गाज आँखे नम हुईं मेरी ।।
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
"एहसास"
मिला जब खूँन भींगा ताज आँखे नम हुईं मेरी ।
बड़ी मक्कार खादी है वो अपनी सोचती है बस,
गिरायी घर में उसके गाज आँखे नम हुईं मेरी ।।
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
"एहसास"
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